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क्या एमबीबीएस डॉक्टरों को होने लगी बीडीएस डॉक्टरों से एलर्जी

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देहरादून। उत्तराखंड में एमबीबीएस डॉक्टर की बड़ी संख्या सरकारी सिस्टम में मौजूद है जिसमे से चंद डॉक्टर दबाव की राजनीति कर सरकार के फैसलों को पलटने के लिए बगावती तेवर आए दिन दिखाते रहे हैं आलम यह है कि सरकार सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए कई बार कठोर निर्णय लेती है तो यह भी चंद एमबीबीएस डॉक्टर को रास नहीं आता। ताजा मामला स्वास्थ्य विभाग के उसे पद से जुड़ा है जिस पर पूर्व में निदेशक स्तर की अधिकारी को हटा कर जूनियर डॉक्टर को तैनात किया गया था लेकिन उस दौरान किसी को कोई आपत्ति नहीं हुई जिसको लेकर अब चर्चा हो रही है कि स्वार्थ के सिस्टम पर चुप रहना बेहतर है, उस दौरान जूनियर डॉक्टर उक्त पर काबिज हुआ तो सब शांत रहे लेकिन अब बीडीएस को उसी पद पर काम करने का मौका मिला तो कुछ एक डॉक्टरों को यह रास ही नही आ रहा। दरअसल डॉक्टर मुकेश राय को प्रभारी अधिकारी एनएचएम को वर्तमान पदभार के साथ राज्य एड्स नियंत्रण समिति देहरादून में अपर परियोजना निदेशक के रूप में कार्य सोपा गया जो चंद एमबीबीएस डॉक्टर को सताने लगा है बता दें कि मुकेश राय बीडीएस डॉक्टर है जोकि डॉक्टर के संगठन के साथ भी जुड़े हुए हैं लेकिन सिस्टम को पलटने की योजना बनाने वाले तो अपने आगे बीडीएस डॉक्टर की तरक्की रास ही नहीं आ रही है। अब भला डॉक्टरों में आपस में ही इतना बेर है तो फिर ये राज्य के लोगो की सेवा में कितना उत्कृष्ट तरीके से कर रहे है इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। कुछ डॉक्टर अपने ही साथी डॉक्टर की मुकालफत करने से कुछ लोग गुरेज नहीं कर रहे है जिससे पता चलता है कि सिस्टम में अवसरवाद कितना हावी है , वहीं एमबीबीएस डॉक्टरों के द्वारा नर्सिंग और फार्मासिस्ट के भी उच्च पदों पर कब्जा जमाया हुआ जिसको लेकर भी अन्य संवर्ग उप निदेशक तक के पदो पर अपने की संवर्ग को देखने के मांग पत्र सौंपते रहे है। जो मुख्याल के लचर सिस्टम को दिखाई तक नही देता।