Headlines

उत्तराखंड: सचिवालय में पदों का असमंजस, बिना विभाग के ही सचिव बने आईएएस अधिकारी बने चर्चाओं का विषय….

खबर शेयर करें -

उत्तराखंड में प्रशासनिक असमंजस की स्थिति एक बार फिर सुर्खियों में है, जब यह खबर सामने आई कि सचिवालय में सचिव स्तर के एक अधिकारी के पास वर्तमान में किसी भी विभाग के सचिव का चार्ज नहीं है, लेकिन फिर भी वह अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यह अधिकारी हैं आईएएस हरि चंद सेमवाल, जिनके पास अब तक धर्म एवं संस्कृति विभाग के सचिव का चार्ज था, लेकिन हाल ही में उन्हें इन सभी चार्ज से मुक्त कर दिया गया है। इसके बावजूद वह अब भी शासन में किस प्रकार काम कर रहे है यह समझ से परे है।

आईएएस अधिकारी हरि चंद सेमवाल को पहले सचिव के रूप में कई विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन अब उनके पास सिर्फ आबकारी आयुक्त और खाद्य आयुक्त का चार्ज है। हालांकि, हालिया आदेशों में उन्हें सचिव के चार्ज से मुक्त कर दिया गया है और अब उनके पास सचिव का कोई भी चार्ज नहीं है। इस स्थिति के बावजूद, वह सचिवालय में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जो सवाल खड़े करता है कि आखिर प्रशासनिक व्यवस्था कैसे काम कर रही है, जब एक अधिकारी के पास जिम्मेदारियों का स्पष्ट बंटवारा ही नहीं है।

उत्तराखंड के प्रशासनिक गलियारों में इस असमंजस को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति शासन के भीतर समन्वय और पारदर्शिता की कमी को दर्शाती है। जब एक अधिकारी के पास कोई स्पष्ट चार्ज नहीं होता है, तो यह न केवल प्रशासनिक कुशलता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह राज्य के विकास कार्यों की गति को भी प्रभावित कर सकता है। कई विभागों में सचिव स्तर के अधिकारियों के बिना कामकाजी माहौल में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

IAS अधिकारी हरि चंद सेमवाल के मामले में प्रशासनिक अधिकारी भी बोलने से बच रहे है । हालांकि, इस समय तक, सेमवाल जैसे अधिकारियों की सेवाओं का प्रयोग बिना किसी स्पष्ट चार्ज के प्रशासनिक कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए किया जा रहा है।

राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में इस पर चर्चा जारी है, और विपक्षी दलों ने इसे प्रशासन की कमजोरियों और फैसले लेने की प्रक्रिया में अनिश्चितता का उदाहरण करार दिया है। इस मुद्दे पर सरकार और शासन के उच्च अधिकारियों की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है।