देहरादून। उत्तराखंड शासन के गलियारों में इन दिनों अजब-गजब घटनाक्रम तेजी से सामने आ रहे हैं। विशेष रूप से स्वास्थ्य विभाग में चल रही अंदरूनी हलचलों ने न केवल पूरे महकमे को सकते में डाल दिया है, बल्कि शासन स्तर पर भी सख्त निगरानी का संकेत दिया है। विभाग के अनुभाग-5 में हाल ही में हुए ‘व्यवस्था परिवर्तन’ को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं, और इसके पीछे तबादलों से लेकर विभागीय खरीद-फरोख्त जैसे गंभीर मुद्दे सामने आ रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग के अंदरूनी हलकों में लंबे समय से कुछ अधिकारी कुर्सी बचाने और वर्चस्व बनाए रखने के लिए आपसी टकराव की रणनीति अपना रहे थे। बताया जा रहा है कि कुछ अधिकारियों ने अपने ही समकक्ष अधिकारियों को कटघरे में खड़ा करने और उन्हें शासन स्तर पर बदनाम करने के लिए गोपनीय स्तर पर शिकायती अभियान शुरू कर रखा था। इन शिकायतों का मकसद खुद को मजबूत स्थिति में बनाए रखना और विभागीय निर्णयों पर एकतरफा नियंत्रण स्थापित करना था।
हालांकि, उत्तराखंड की वर्तमान सरकार “जीरो टॉलरेंस” की नीति पर कार्य कर रही है, और इसी नीति के तहत जब शिकायतें शासन के उच्चाधिकारियों तक पहुंचीं, तो इस पूरे मामले की गंभीरता को भांपते हुए तत्काल व्यवस्था परिवर्तन की कार्रवाई की गई। यह निर्णय न केवल संबंधित अधिकारियों के लिए चौंकाने वाला रहा, बल्कि इससे पूरे विभाग में हड़कंप मच गया है।
विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि विभाग में हाल ही में हुए कुछ तबादलों और मेडिकल उपकरणों की खरीद में कथित अनियमितताओं को लेकर भी शासन के पास विस्तृत शिकायतें पहुंची थीं। इन शिकायतों की एक प्राथमिक जांच के बाद पाया गया कि कुछ अफसरों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए विभागीय प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास किया।
शासन स्तर से आए इस कड़े संदेश के बाद स्वास्थ्य विभाग के अन्य अनुभागों में भी अफसरों की बेचैनी बढ़ गई है। अब प्रत्येक निर्णय, फाइल और अनुशंसा को शासन स्तर से बारीकी से खंगाला जा रहा है।
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया है कि उत्तराखंड सरकार अब महज “जीरो टॉलरेंस” की बात कहने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे ज़मीन पर उतारने के लिए गंभीरता से कार्रवाई कर रही है। स्वास्थ्य विभाग जैसे संवेदनशील महकमे में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में यह एक मजबूत कदम माना जा रहा है।
सूत्रों का मानना है कि आने वाले दिनों में और भी विभागों में इस तरह की सर्जरी देखने को मिल सकती है, खासतौर पर वहां, जहां शिकायतों का अंबार शासन तक पहुंच रहा है। यह घटनाक्रम स्पष्ट करता है कि अब शासन में न तो लापरवाही की जगह है और न ही गुटबाजी की।
