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सोशल मीडिया पर पोस्ट से फिर घिरे सरकार के मंत्री, प्राइवेट कंपनी के प्रचार प्रसार करने को लेकर युवाओं ने पूछे सवाल….

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देहरादून, उत्तराखंड सरकार के मंत्री सौरभ बहुगुणा एक बार फिर विवादों के घेरे में हैं, इस बार कारण है। उनका एक फेसबुक पोस्ट, जिसमें उन्होंने एफएसआई ओवरसीज़ प्राइवेट लिमिटेड नामक एक निजी कंसल्टेंसी कंपनी के ज़रिए विदेशों में नौकरी के लिए आवेदन करने की अपील की है। सवाल यह नहीं कि कंपनी पंजीकृत है या नहीं, बल्कि सवाल यह है कि क्या एक संवैधानिक पद पर आसीन मंत्री का काम अब निजी कंपनियों का प्रमोशन करना रह गया है? क्या उत्तराखंड के मंत्री अब युवाओं को सरकारी नौकरियों या योजनाओं की जगह निजी कंपनियों की चौखट पर भेजेंगे?मंत्री का यह रवैया हैरान करने वाला नहीं है, बल्कि चिंताजनक है। वह मंत्री हैं, कोई इन्फ्लुएंसर नहीं कि जब जिस कंपनी से संपर्क हो जाए, उसे अपने प्रोफाइल पर प्रमोट कर दें। एक मंत्री के सोशल मीडिया पोस्ट को सिर्फ़ एक व्यक्तिगत राय नहीं माना जा सकता — वह राज्य सरकार का अप्रत्यक्ष बयान होता है। ऐसे में यदि उन्होंने इस कंपनी का प्रचार किया, तो इसका सीधा अर्थ है कि वह युवाओं को एक विशेष प्राइवेट संस्था पर भरोसा करने को कह रहे हैं।अब कल्पना कीजिए यदि कल को यही कंपनी युवाओं के लाखों रुपए लेकर नौकरियों का झांसा देकर फरार हो जाती है, तो क्या मंत्री बहुगुणा जिम्मेदारी लेंगे? या फिर वह चुपचाप पोस्ट हटाकर ‘मैंने थोड़े ही कहा था’ कहकर पल्ला झाड़ लेंगे? इससे बड़ा सवाल यह है कि उन्होंने इस कंपनी को क्यों चुना? क्या कोई पुराना नाता है? कोई व्यावसायिक संबंध? और अगर नहीं है, तो क्या मंत्री को हर किसी निजी संस्था का प्रमोशन करने का लाइसेंस मिल गया है? उत्तराखंड की जनता जानना चाहती है क्या अब हमारे मंत्रीगण युवाओं को ठेके पर विदेश भेजने वाली फर्म के एजेंडे पर काम करेंगे? क्या सरकार का काम अब निजी कंपनियों की मार्केटिंग बन गया है?
उन्होंने इस कंपनी का प्रचार क्यों किया?

वह गारंटी लेते हैं कि कोई भी युवा इस कंपनी के ज़रिए ठगा नहीं जाएगा?

क्या वह इस संस्था से किसी भी प्रकार के संबंध से इनकार करते हैं?